त्रिभुज (Ch-7) Notes || Class 9 Math Chapter 7 in Hindi ||

पाठ – 7

त्रिभुज

In this post we have given the detailed notes of class 9 Math chapter 7 Triangles in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.

इस पोस्ट में कक्षा 9 के गणित के पाठ 7 त्रिभुज  के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं गणित विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board, CGBSE Board, MPBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectMath
Chapter no.Chapter 7
Chapter Nameत्रिभुज (Triangles)
CategoryClass 9 Math Notes in Hindi
MediumHindi
Class 9 Math Chapter 7 त्रिभुज Notes in Hindi
Table of Content
3. पाठ 7, त्रिभुज

पाठ 7, त्रिभुज

 त्रिभुजों की सर्वांगसमता

यदि दो त्रिभुजों की तीनों भुजायें एवं संगत कोण समान हों तो वे परस्पर सर्वांगसम होते हैं। दूसरे शब्दों में दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं यदि वे एक दूसरे की प्रतिलिपियाँ हों और एक को दूसरे के ऊपर रखे जाने पर, वे एक दूसरे को आपस में पूर्णतया ढक लें।

त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए कसौटियाँ

दो त्रिभुज परस्पर सर्वांगसम होंगे इसको सिद्ध करने के लिए कुछ नियम हैं:

अभिगृहीत 7.1 (SAS सर्वांगसमता नियम):

दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और उनका अंतर्गत कोण दूसरे त्रिभुज की दो भुजाओं और उनके अंतर्गत कोण के बराबर हों।

नोट:

इस परिणाम को इससे पहले ज्ञात परिणामों की सहायता से सिद्ध नहीं किया जा सकता है और इसीलिए इसे एक अभिगृहीत के रूप में सत्य मान लिया गया है।

ASA सर्वांगसमता

यदि एक त्रिभुज के दो कोण और उनके बीच की एक भुजा संगत कोण और भुजा के बराबर हो, तो त्रिभुज सर्वांगसम कहलाता है।

नोट:

चूँकि इस परिणाम को सिद्ध किया जा सकता है, इसलिए इसे एक प्रमेय कहा जाता है। इसे सिद्ध करने के लिए, हम ASA सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करेंगे।

प्रमेय 7.1 (ASA सर्वांगसमता नियम)

दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि एक त्रिभुज के दो कोण और उनकी अंतर्गत भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और उनकी अंतर्गत भुजा के बराबर हों।

उपपत्ति

हमें दो त्रिभुज ABC और DEF दिए हैं, जिनमें ∠B = ∠E, ∠C = ∠F और BC = EF है। हमें ∆ ABC ≅ ∆ DEF सिद्ध करना है।

दोनों त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए देखिए कि यहाँ तीन स्थितियाँ संभव हैं।

स्थिति (i):

मान लीजिए AB = DE है।

इस स्थिति में AB = DE (माना है)

∠B = ∠E (दिया है)

BC = EF (दिया है)

अतः ∆ ABC ≅ ∆ DEF (SAS नियम द्वारा)

स्थिति (ii)

मान लीजिए, यदि संभव है तो, AB > DE है। इसलिए, हम AB पर एक बिंदु P ऐसा ले सकते हैं कि PB = DE हो

अब ∆ PBC और ∆ DEF में,

PB = DE (रचना से)

∠B = ∠E (दिया है)

BC = EF (दिया से)

अतः, हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि

∆ PBC ≅ ∆ DFE (SAS सर्वांगसमता अभिगृहीत द्वारा)

चूँकि दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं, इसलिए इनके संगत भाग बराबर होने चाहिए।

अतः, ∠ACB = ∠DFE

अतः ∠ACB = ∠PCB

परन्तु क्या यह संभव है?

यह तभी संभव है, जब P बिंदु A के साथ संपाती हो।

या BA = ED

अतः ∆ ABC ≅ ∆ DEF (SAS सर्वांगसमता अभिगृहीत द्वारा)

स्थिति (iii):

यदि AB, DE से छोटा हो, तो हम DE पर एक बिंदु M इस प्रकार ले सकते हैं कि ME = AB हो। अब स्थिति (ii) वाले तर्कण को दोहराते हुए, हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि AB = DE है और इसीलिए ∆ ABC ≅ ∆ DEF है।

अब मान लीजिए कि दो त्रिभुजों में दो कोणों के युग्म और संगत भुजाओं का एक युग्म बराबर हैं, परन्तु ये भुजाएँ बराबर कोणों के युग्मों की अंतर्गत भुजाएँ नहीं हैं। क्या ये त्रिभुज अभी भी सर्वांगसम हैं? आप देखेंगे कि ये त्रिभुज सर्वांगसम हैं। क्या आप इसका कारण बता सकते हैं?

आप जानते हैं कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° होता है। अतः त्रिभुजों के कोणों के दो युग्म बराबर होने पर उनके तीसरे कोण भी बराबर होंगे (180° – दोनों बराबर कोणों का योग)।

अतः, दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि इन त्रिभुजों के दो कोणों के युग्म बराबर हों और संगत भुजाओं का एक युग्म बराबर हो। हम इसे AAS सर्वांगसमता नियम कह सकते हैं।

एक त्रिभुज के कुछ गुण

विभिन्न गुणों के आधार पर त्रिभुजों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है:

समद्विबाहु त्रिभुज

एक त्रिभुज जिसकी दो भुजाएँ बराबर हों समद्विबाहु त्रिभुज कहलाता है।

प्रमेय 7.2: एक समद्विबाहु त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।

उपपत्ति

हमें एक समद्विबाहु ∆ ABC दिया है, जिसमें AB = AC है। हमें ∠B = ∠C सिद्ध करना है।

आइए ∠A का समद्विभाजक खींचे। मान लीजिए यह BC से D पर मिलता है।

अब ∆ BAD और ∆ CAD में

AB = AC (दिया है)

∠BAD = ∠CAD (रचना से)

AD = AD (उभयनिष्ठ)

अतः, ∆ BAD ≅ ∆ CAD (SAS नियम द्वारा)

इसलिए, ∠ABD = ∠ACD (CPCT)

अर्थात् ∠B = ∠C

प्रमेय 7.3: किसी त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।

(यह प्रमेय 7-2 का विलोम है।)

इस प्रमेय को ASA सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करके सिद्ध कर सकते हैं। एक उदाहरण के माध्यम से इसको सिद्ध करने का प्रयास करते हैं।

उदाहरण:

∆ ABC में, ∠A का समद्विभाजक AD भुजा BC पर लम्ब है। दर्शाइए कि AB = AC है और ∆ ABC समद्विबाहु है।

अब ∆ ABD और ∆ ACD में

∠BAD = ∠CAD (दिया है)

AD =AD (उभयनिष्ठ)

∠ ADB = ∠ ADC = 90⁰ (दिया है)

अतः, ∆ ABD ≅ ∆ ACD (SAS नियम द्वारा)

इसलिए, AB = AC (CPCT)

इसी कारण ∆ ABC समद्विबाहु है।

स्मरणीय तथ्य:

दो आकृतियाँ सर्वांगसम होती हैं, यदि उनका एक ही आकार हो और एक ही माप हो।

समान त्रिज्याओं वाले दो वृत्त सर्वांगसम होते हैं।

समान भुजाओं वाले दो वर्ग सर्वांगसम होते हैं।

यदि त्रिभजु ABC आरै PQR सगंतता।A↔ P, B ↔ Q और C ↔ R के अंतर्गत सवार्गंसम हों तो उन्हें सांकेतिक रूप में ∆ ABC ≅ ∆ PQR लिखते हैं।

यदि एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और अंतर्गत कोण दूसरे त्रिभुज की दो भुजाओं और अंतर्गत कोण के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं (SAS सर्वांगसमता नियम)।

त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए कुछ और कसौटियाँ

एक त्रिभुज के तीनों कोणों के दूसरे त्रिभुज के तीनों कोणों के बराबर होने पर दोनों त्रिभुजों का सर्वांगसम होना आवश्यक नहीं है। इसके लिए कुछ और भी नियम हैं जो निम्न प्रकार से हैं:

प्रमेय 7.4 (SSS सर्वांगसमता नियम):

यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ एक अन्य त्रिभुज की तीनों भुजाओं के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। दूसरे शब्दों में दोनों त्रिभुज एक दूसरे को पूर्णतया ढक लेते हैं और इसीलिए ये सर्वांगसम हैं।

प्रमेय 7.5 (RHS सर्वांगसमता नियम)

यदि दो समकोण त्रिभुजों में, एक त्रिभुज का कर्ण और एक भुजा क्रमशः दूसरे त्रिभुज के कर्ण और एक भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।

ध्यान दीजिए कि यहाँ RHS समकोण – कर्ण – भुजा को दर्शाता है।

उदाहरण

AB एक रेखाखंड है तथा बिंदु P और Q इस रेखाखंड AB के विपरीत ओर इस प्रकार स्थित हैं कि इनमें से प्रत्येक A और B से समदूरस्थ है। दर्शाइए कि रेखा PQ रेखाखंड AB का लम्ब समद्विभाजक है।

हल:

आपको PA = PB और QA = QB दिया हुआ है।

आपको दर्शाना है कि PQ ⊥ AB है और PQ रेखाखंड AB को समद्विभाजित करती है। मान लीजिए रेखा PQ रेखाखंड AB को C पर प्रतिच्छेद करती है।

यहाँ पर ∆ PAQ और ∆ PBQ लेते हैं।

इन त्रिभुजों में

AP = BP (दिया है)

AQ = BQ (दिया है)

PQ =PQ (उभयनिष्ठ हैं)

अतः, D PAQ ≅ D PBQ (SSS नियम)

इसलिए, ∠ APQ = ∠ BPQ (CPCT)

अब ∆ PAC और ∆ PBC लेते हैं। आपको प्राप्त है:

AP =BP (दिया है)

∠ APC = ∠ BPC (∠ APQ = ∠ BPQ पहले सिद्ध किया जा चुका है)

PC =PC (उभयनिष्ठ)

अतः ∆ PAC ≅ ∆ PBC (SAS नियम)

इसलिए, AC = BC (CPCT) (1)

और ∠ ACP = ∠ BCP (CPCT)

साथ ही ∠ ACP + ∠ BCP = 180° (रैखिक युग्म)

इसलिए, 2∠ ACP = 180°

या ∠ ACP = 90° (2)

(1) और (2) से, आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि रेखा PQ रेखाखंड AB का लम्ब समद्विभाजक है।

स्मरणीय तथ्य

  • यदि एक त्रिभुज के दो कोण और अंतर्गत भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और अंतर्गत भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
  • यदि एक त्रिभुज के दो कोण और एक भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और संगत भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं (AAS सर्वांगसमता नियम)।

एक त्रिभुज में असमिकाएँ

त्रिभुज की भुजाओं के माप बदलने पर उसके कोणों के माप भी बदल जाते हैं और यदि त्रिभुज के कोणों के माप बदलें तो भुजाओं के माप भी बदल जाते हैं।

प्रमेय 7.6

यदि किसी त्रिभुज की दो भुजाएँ असमान हों, तो लम्बी भुजा के सामने का सम्मुख कोण बड़ा होता है।

एक क्रिया-कलाप द्वारा इसे समझने का प्रयास करते हैं:

अब कोई ऐसा त्रिभुज खींचिए जिसके सभी कोण असमान हों। इस त्रिभुज की भुजाओं को मापिए। देखिए कि सबसे बड़े कोण की सम्मुख भुजा सबसे लम्बी है।

नोट:

कुछ और त्रिभुज खींच कर इस क्रियाकलाप को दोहराइए और देखिए कि प्रमेय 7.6 का विलोम भी सत्य है। इस प्रकार, हम निम्न प्रमेय पर पहुँचते हैं।

प्रमेय : किसी त्रिभुज में, बड़े कोण की सम्मुख भुजा बड़ी (लम्बी) होती है।

इस प्रमेय को विरोधाभास की विधि (उमजीवक वि बवदजतंकपबजपवद) से सिद्ध किया जा सकता है।

अब एक त्रिभुज ABC खींचिए और इसमें AB + BC, BC + AC और AC + AB ज्ञात कीजिए। आप क्या देखते हैं? आप देखेंगे कि

AB + BC > AC, BC + AC > AB और AC + AB > BC हैं।

प्रमेय : त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं का योग तीसरी भुजा से बड़ा होता है।

∆ABC की एक भुजा BC पर D एक ऐसा बिंदु है कि AD = AC है दर्शाइए कि AB > AD है

हल:

∆ DAC में

AD = AC (दिया है)

इसलिए, ∠ ADC = ∠ ACD (बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण)

अब ∠ ADC त्रिभुज ABD का एक बहिष्कोण है

इसलिए, ∠ ADC > ∠ ABD

या ∠ ACD > ∠ ABD

या ∠ ACB > ∠ ABC

अतः, AB > AC (∆ ABC में बड़े कोण की सम्मुख भुजा)

या AB > AD (AD = AC)

स्मरणीय तथ्य

  • त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
  • त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।
  • किसी समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60⁰ का होता है।
  • यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों भुजाओं के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं (SSS सर्वांगसमता नियम)।

प्रमेय : त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं का योग तीसरी भुजा से बड़ा होता है।

∆ ABC की भुजा BA को एक बिंदु D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि AD = AC है। क्या आप दर्शा सकते हैं कि

∠BCD > ∠BDC है और BA + AC > BC है?

क्या आप उपरोक्त प्रमेय की उत्पत्ति पर पहुँच गए हैं? इससे सम्बंधित उदाहरण नीचे दिया गया है।

हल सहित उदाहरण

∆ ABC की भुजा BC पर D एक ऐसा बिंदु है कि AD = AC है दर्शाइये कि AB > AD है।

हल:

∆ DAC में

AD = AC (दिया है)

इसलिए, ∠ADC = ∠ACD (बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण)

अब, ∠ ADC त्रिभुज ABD का एक बहिष्कोणहै।

इसलिए, ∠ADC > ∠ABD

या ∠ACD > ∠ABD

या ∠ACB > ∠ABC

अतः AB > AC (∆ ABC में बड़े कोण की सम्मुख भुजा)

या AB > AD (AD = AC)

स्मरणीय तथ्य:

  • यदि दो समकोण त्रिभुजों में, एक त्रिभुज का कर्ण और एक भुजा क्रमशः दूसरे त्रिभुज के कर्ण और एक भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। (RHS सर्वांगसमता नियम)
  • किसी त्रिभुज में, लंबी (बड़ी) भुजा का सम्मुख कोण बड़ा होता है।
  • किसी त्रिभुज में, बड़े कोण की सम्मुख भुजा लंबी (बड़ी) होती है।
  • किसी त्रिभुज में, दो भुजाओं का योग तीसरी भुजा से बड़ा होता है।

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