वास्तविक संख्याएँ (Ch-1) Notes || Class 10 Math Chapter 1 in Hindi ||

पाठ – 1

वास्तविक संख्याएँ

In this post we have given the detailed notes of class 10 Math chapter 1 Real Numbers in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 10 board exams.

इस पोस्ट में कक्षा 10 के गणित के पाठ 1 वास्तविक संख्याएँ  के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं गणित विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board, CGBSE Board, MPBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 10
SubjectMath
Chapter no.Chapter 1
Chapter Nameवास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)
CategoryClass 10 Math Notes in Hindi
MediumHindi
Class 10 Math Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Notes in Hindi

पाठ 1 वास्तविक संख्याएँ

वास्तविक संख्या

सभी परिमेय संख्या और अपरिमेय संख्याओं को सम्मलित रूप से लिखने पर वास्तविक संख्या प्राप्त होती हैं।

जैसे :-  √3, , √15,

वास्तविक संख्या को R से प्रदर्शित किया जाता है।

वास्तविक संख्या को अंग्रेजी में “Real Number” कहते हैं।

वास्तविक संख्याओं के प्रकार

वास्तविक संख्याएँ दो प्रकार की होती हैं।

  • धनात्मक वास्तविक संख्या
  • ऋणात्मक वास्तविक संख्या

 

1) धनात्मक वास्तविक संख्याएँ

धनात्मक वास्तविक संख्याएँ वह संख्या होती है जिसका मान धनात्मक होता हैं धनात्मक वास्तविक संख्याएँ कहलाती हैं। अर्थात धनात्मक वास्तविक संख्याओं के आगे धनात्मक चिन्ह लगाया जाता हैं।

जैसे :-

2) ऋणात्मक वास्तविक संख्याएँ

वह वास्तविक संख्याएँ जिनका मान ऋणात्मक होता हैं ऋणात्मक वास्तविक संख्याएँ कहलाती हैं। अर्थात ऋणात्मक वास्तविक संख्याओं के आगे ऋणात्मक चिन्ह लगाया जाता हैं।

जैसे :-  

वास्तविक संख्याओं के गुणधर्म

वास्तविक संख्याओं के चार गुणधर्म होते हैं।

1. संवृत गुणधर्म :- जब दो वास्तविक संख्याओं को जोड़ा या गुणा किया जाता हैं तो हमें एक वास्तविक संख्याएँ प्राप्त होती हैं। वास्तविक संख्याओं के इस गुणधर्म को ही संवृत गुणधर्म कहाँ जाता हैं।

2. क्रमविनिमेय गुणधर्म :- दो वास्तविक संख्याओं को किसी भी उलझे क्रम में जोड़ने या गुणा करने पर हमें एक समान वास्तविक संख्याएँ प्राप्त होगी। वास्तविक संख्याओं के इस गुणधर्म को कर्मविनिमेय गुणधर्म कहाँ जाता है।

3. साहचर्य गुणधर्म :- तीन वास्तविक संख्याओं के ग्रुप को ही परिवर्तित कर जोड़ने या गुना करने पर उत्तर समान ही प्राप्त होता है। परिमेय संख्याओं के इस गुण को साहचर्य गुण कहाँ जाता है।

4. वितरण गुणधर्म :- यदि वितरण गुण का प्रयोग गुणन पर योग का वितरण विधि या गुणन पर व्यवकलन (घटाव) का वितरण विधि का प्रयोग कर किसी प्रश्न का हल विभिन्न तरीको से किया जाये तो हल समान ही प्राप्त होगा। अतः इस गुण को वास्तविक संख्याओं का वितरण गुण कहा जाता है।

यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म (कलन विधि)

यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म पूर्णांकों की विभाज्यता से किसी रूप में संबंधित है। साधारण भाषा में कहा जाए, तो एल्गोरिथ्म के अनुसार, एक धनात्मक पूर्णांक a को किसी अन्य धनात्मक पूर्णांक b से इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है कि शेषफल r प्राप्त हो, जो b से छोटा (कम) है। इसे सामान्य लंबी विभाजन प्रक्रिया के रूप में जानते हैं। यद्यपि यह परिणाम कहने और समझने में बहुत सरल है। परंतु पूर्णांकों की विभाज्यता के गुणों से संबंधित इसके अनेक अनुप्रयोग हैं। हम इनमें से कुछ पर प्रकाश डालेंगे तथा मुख्यतः इसका प्रयोग दो धनात्मक पूर्णांकों का महत्तम समापवर्तक परिकलित करने में करेंगे।

यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका

दो धनात्मक पूर्णांक a और b दिए रहने पर, ऐसी अद्वितीय पूर्ण संख्याएँ q और r विद्यमान हैं कि a = bq + r, तथा r बड़ा हो या बराबर हो 0 के और b, 0 से बड़ा हो।

यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म से महत्तम समापवर्तक

यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म दो धनात्मक पूर्णांकों का महत्तम समापवर्तक परिकलित करने की एक तकनीक है। आपको याद होगा कि दो धनात्मक पूर्णांकों a और b का महत्तम समापवर्तक वह सबसे बड़ा पूर्णांक d है, जो a और b दोनों को (पूर्णतया) विभाजित करता है।

उदाहरण

मान लीजिए हमें पूर्णांकों 455 और 42 का महत्तम समापवर्तक ज्ञात करना है। हम बड़े पूर्णांक 455 से प्रारंभ करते हैं। तब यूक्लिड प्रमेयिका से, हमें प्राप्त होता हैः

455 = 42 × 10 + 35

अब भाजक 42 और शेषफल 35 लेकर, यूक्लिड प्रमेयिका का प्रयोग करने पर, हमें प्राप्त होता हैः

42 = 35 × 1 + 7

अब, भाजक 35 और शेषफल 7 लेकर, यूक्लिड प्रमेयिका का प्रयोग करने पर, हमें प्राप्त होता हैः

35 = 7 × 5 + 0

ध्यान दीजिए कि यहाँ शेषफल शून्य आ गया है तथा हम आगे कुछ नहीं कर सकते। हम कहते हैं कि इस स्थिति वाला भाजक, अर्थात् 7 ही 455 और 42 का महत्तम समापवर्तक है।

यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म न केवल बड़ी संख्याओं के भ्ब्थ् परिकलित करने में उपयोगी है, अपितु यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह उन एल्गोरिथ्मों में से एक है, जिनका कंप्यूटर में एक प्रोग्राम के रूप में सबसे पहले प्रयोग किया गया।

अंकगणित का आधारभूत प्रमेय

प्रत्येक भाज्य संख्या को अभाज्य संख्याओं के एक गुणनफल के रूप में व्यक्त (गुणनखंडित) किया जा सकता है तथा यह गुणनखंडन अभाज्य गुणनखंडों के आने वाले क्रम के बिना अद्वितीय होता है।

उदाहरणार्थ, हम 2 × 3 × 5 × 7 को वही मानते हैं जो 3 × 5 × 7 × 2 को माना जाता है।

दो धनात्मक पूर्णांकों के HCF और LCM अंकगणित की आधारभूत प्रमेय का प्रयोग करके किस प्रकार ज्ञात किए जाते हैं। ऐसा करते समय, इस प्रमेय के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था। इस विधि को अभाज्य गुणनखंडन विधि भी कहते हैं।

उदाहरण

संख्याओं 6 और 20 के अभाज्य गुणनखंडन विधि से HCF और LCM ज्ञात कीजिए।

हल

यहाँ 6 = 2¹ × 3¹ और 20 = 2 × 2 × 5 = 2² × 5¹ है।

जैसा कि आप पिछली कक्षाओं में कर चुके हैं, आप HCF (6, 20) = 2 तथा LCM (6, 20) = 2 × 2 × 3 × 5 = 60, ज्ञात कर सकते हैं।

उदाहरण

संख्याओं 6 और 20 के अभाज्य गुणनखंडन विधि से HCF और LCM ज्ञात कीजिए।

हल:

यहाँ 6 = 2¹ × 3¹ और 20 = 2 × 2 × 5 = 2² × 5¹ है।

जैसाकि आप पिछली कक्षाओं में कर चुके हैं, आप HCF (6, 20) = 2 तथा LCM (6, 20)

= 2 × 2 × 3 × 5 = 60, ज्ञात कर सकते हैं।

अंकगणित का आधारभूत प्रमेय

दो धनात्मक पूर्णांकों के HCF और LCM अंकगणित की आधारभूत प्रमेय का प्रयोग करके किस प्रकार ज्ञात किए जाते हैं। ऐसा करते समय, इस प्रमेय के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था। इस विधि को अभाज्य गुणनखंडन विधि भी कहते हैं।

उदाहरण

संख्याओं 6 और 20 के अभाज्य गुणनखंडन विधि से HCF और LCM ज्ञात कीजिए।

हल:

यहाँ 6 = 2¹ × 3¹ और 20 = 2 × 2 × 5 = 2² × 5¹ है।

इस प्रकार, HCF (6, 20) = 2 तथा

LCM (6, 20) = 2 × 2 × 3 × 5 = 60, ज्ञात कर सकते हैं।

= 2 × 2 × 3 × 5 = 60 ज्ञात कर सकते हैं।

अपरिमेय संख्याओं का पुनर्भ्रमण

अपरिमेय संख्या

संख्या “s” अपरिमेय संख्या कहलाती है, यदि उसे p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता हो, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0 है। अपरिमेय संख्याओं के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैंः

√2, √3, √15 , π, … आदि।

मान लीजिए p एक अभाज्य संख्या है। यदि p, a² को विभाजित करती है, तो p, a को भी विभाजित करेगी, जहाँ a एक धनात्मक पूर्णांक है।

उदाहरण

√2 एक अपरिमेय संख्या है।

उपपत्ति

हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि √2 एक परिमेय संख्या है।

अतः, हम दो पूर्णांक r और s ऐसे ज्ञात कर सकते हैं कि √2 = r/s हो तथा s ≠ 0 हो।

मान लीजिए r और s में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड है। तब, हम इस उभयनिष्ठ गुणनखंड से r और s को विभाजित करके √2 = a/b प्राप्त कर सकते हैं, जहाँ a और b सहअभाज्य हैं।

अतः b√2 = a हुआ।

दोनों पक्षों का वर्ग करने तथा पुनर्व्यवस्थित करने पर, हमें प्राप्त होता है:

2b² = a²

अतः 2, a² को विभाजित करता है।

इसलिए प्रमेय 1.3 के अनुसार 2, a को विभाजित करेगा।

अतः हम a = 2 c लिख सकते हैं जहां c कोई पूर्णांक है।

a का मान प्रतिस्थापित करने पर 2b² = 4c², अर्थात b² = 2c² प्राप्त होगा।

इसका अर्थ है कि 2, b² को विभाजित करता है इसलिए प्रमेय 1.3 के अनुसार 2, b को विभाजित करेगा।

अतः a, b में एक उभयनिष्ट गुनंखंड 2 है।

परिमेय संख्या

संख्या जो  के फॉर्म में हों, या संख्या जिन्हें  के रूप में व्यक्त किया जा सकता हो, जहाँ p तथा q पूर्णांक हों तथा q≠0 हो, परिमेय संख्यां कहलाती हैं। परिमेय संख्या को अंग्रेजी में रेशनल नम्बर कहा जाता है।

उदाहरण

 आदि परिमेय संख्या के कुछ उदाहरण हैं।

अंश तथा हर

एक परिमेय संख्या जो कि  के रूप में होता है, में p को अंश तथा q को हर कहते हैं।

परिमेय संख्या  में 2 अंश तथा 3 हर है।

उसी प्रकार –  , जो कि एक परिमेय संख्या है, में –5 अंश तथा 6 हर है।

उसी प्रकार   जो कि एक परिमेय संख्या है में 12 अंश तथा –13 हर है।

परिमेय संख्याओं का संख्या रेखा पर निरूपण

संख्या रेखा पर शून्य के दायीं ओर धनात्मक पूर्णांक तथा शून्य के बायीं ओर ऋणात्मक पूर्णांक होता है।

अत: ऋणात्मक परिमेय संख्या को संख्या रेखा पर बायीं ओर तथा धनात्मक परिमेय संख्या को संख्या रेखा पर दायीं ओर निरूपित किया जाता है।

उदाहरण

   तथा  का संख्या रेखा पर निरूपण

परिमेय संख्याओं और उनके दशमलव प्रसारों का पुनर्भ्रमण

परिमेय संख्याओं के या तो सांत दशमलव प्रसार होते हैं या फिर असांत आवर्ती दशमलव प्रसार होते हैं। हम एक परिमेय संख्या, मान लीजिए p/q (q ≠ 0), पर विचार करेंगे तथा यथार्थ रूप से इसकी खोज करेंगे कि p/q का दशमलव प्रसार कब सांत होगा और कब असांत आवर्ती होगा।

आइए निम्नलिखित परिमेय संख्याओं पर विचार रेंः

(i) 0.375 (ii) 0.104 (iii) 0.0875 (iv) 23.3408

अब

(i)

(ii)

(iii)

(iv)

इनको और सरल करने पर हमें प्राप्त होता है:

(i)

(ii)

(iii)

(iv)

प्राप्त सभी संख्याएं p/q के परिमेय संख्या के रूप में हैं।

We hope that class 10 Math Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers) Notes in Hindi helped you. If you have any queries about class 10 Math Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers) Notes in Hindi or about any other Notes of class 10 Math in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible…

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